ज़िंदादिली का दूसरा नाम : कृष्णा सोबती - विपिन चौधरी
कृष्णा सोबती का होना हिंदी कथा जगत की उपलब्धि है। अनुनाद की साथी कवि विपिन चौधरी ने उन पर अपना आत्मीय लेख हमें सौंपा है। यह लेख फेमिना में छप चुका है। यह इसका पुन:प्रकाशन है और अनुनाद इस सहयोग के लिए...
View Articleविपिन चौधरी की कविताएं
समकालीन कविता-संसार में विपिन चौधरी का हस्तक्षेप बख़ूबी पहचाना गया है। अनुनाद पर विपिन की उपस्थिति के ये लिंक पाठकों के लिए - 1.आत्मकथ्य और कविताएं2.दस कविताएं 3.माया एंजेला अनुनाद के एक पुराने पन्ने...
View Articleप्रशान्त विप्लवी की बारह कविताएं
प्रशान्त की कविताएं समकालीन युवा कविता संसार में केन्द्रों के बरअक्स सीमान्तों की हूक की तरह हैं। उन्हें पढ़ना दूर-दराज़ के इलाक़ों को पढ़ने जैसा है जबकि कवि का रहवास सीमान्तों या दूर-दराज़ के इलाक़ों...
View Articleहिंदी दिवस विशेष : हिंदी-उर्दू कविता के गढ़वाली रूपान्तरण : नेत्र सिंह असवाल
सोशल मीडिया पर रहने दौरान अचानक मेरा ध्यान नेत्र सिंह असवाल जी की टाइमलाइन पर गया। वहां हिंदी और उर्दू कवियों की कविता के गढ़वाली रूपान्तरण दर्ज़ थे। अपनी बोली-बानी में इन अनुवादों को पढ़कर मैं चकित रह...
View Articleहॉली मैक्निश : स्तनपान पर शर्मिंदा : भावानुवाद एवं प्रस्तुति - यादवेन्द्र
स्तनपान के बारे में वैज्ञानिक शोध चाहे कितनी सकारात्मक बातें कहें पूरी दुनिया में युवा शहरी और कामकाजी स्त्रियों में इसको लेकर नकार का भाव बढ़ता जा रहा है - घर से बाहर की दुनिया में पुरुष बहुमत के...
View Articleचर्चित समकालीन मैसिडोनियन कवि निकोला मेदजीरोव की कविताएं ( पेगी, ग्राहम...
कवि की औपचारिक अनुमति से हिंदीमें पहली बार अनूदित ये कविताएं प्रिंट में जनसत्ता में आई थीं, (वैसे ये अनुवाद मूलत :kritya international poetry festival के लिए किए गए थे), यानी इनअनुवादों से ही इस कवि को...
View Articleअमित श्रीवास्तव की दो कविताएं
इस दुनिया में रात भर जागती है कोई स्त्री इसी दुनिया में कोई कोई पागल प्रेम कर बैठता हैसरल, लगभग अभिधात्मक दीखते वाक्यों के बीच भाषा जीवन के बिम्ब बनाती है तो कविता में एक अलग हूक उभरती है। अमित का कवि...
View Articleमेरे नागार्जुन - शिरीष कुमार मौर्य
बाबा का संस्मरणमेरे जीवन में-मन में वह एक-अकेला औघड़ बाबाप्रगतिशील हिंदी कविता का वह परम औघड़-ज़िद्दी यात्री, जिसे नागार्जुन या बाबा कहते हैं, मेरे जीवन में पहली बार आया तब मैं आठवीं में पढ़ता था।...
View Articleयह नोट तो तुम्हें वोट के बदले मिला है - पंकज चतुर्वेदी की नई कविताएं
प्रतिरोध और बहस की सुन्दरता पंकज चतुर्वेदी के सौम्य और सादे लहजे में जिस तरह निखरती है, उसे जानना, समकालीन कविता में कला के संघर्ष को जानना है। आज की कविता पर विचार करते हुए प्रगतिशीलता जैसे चलन से...
View Articleनरेश सक्सेना की कविता : कत्लगाहों की तरफ़ फुसलाते शब्द -आशीष मिश्र
ठंड से नहीं मरते शब्द वे मर जाते हैं साहस की कमी से केदारनाथ सिंह के इन शब्दों को आलोचना के सन्दर्भ में देखना रोचक है। आशीष मिश्र ने युवा आलोचना में एक हद तक यह साहस संभव किया है कि शब्द बचे रहें। इस...
View Articleयहां लोक की बहुत ऊपरी और सतही समझ से काम नहीं चल सकता - आलोचक जीवन सिंह से...
(वरिष्ठ आलोचक जीवन सिंह और सुपरिचित कवि महेश पुुनेठा की यह महत्वपूर्ण बातचीत चार खंडों में अनुनाद पर आएगी। अनुनाद इस सहयोग के लिए महेश पुनेठा का आभारी है।)डॉ0जीवन सिंह हिंदी के प्रतिष्ठित,प्रतिबद्ध और...
View Articleअमित श्रीवास्तव की नई कविता - चुनो
देश के 5 राज्यों में चुनाव हैं। जनता के बीच कुछ भ्रम पहले से थे और कई इस बीच डाल दिए गए हैं। ऐसे ही भ्रमों के बीच हमें अमित श्रीवास्तव की यह कविता मिली है, जो कई जाले साफ़ करती है और किनारे खड़े होकर...
View Articleमुक्तिबोध मेहनतकश की आजादी के पक्षधर हैं : वरिष्ठ आलोचक जीवन सिंह से कवि महेश...
महेश चंद्र पुनेठा- मुक्तिबोध के समय बहुत सारे आधुनिकतावादी कवि यह कहते हुए पाए जाते थे कि जनवाद,समाजवाद भीड़ की मनोवृति के परिचायक हैं। जुलूस,हड़ताल आदि राजनीतिक सामूहिक कार्य...
View Articleवर्तमान सन्दर्भ में उत्तरभारतीय तालों का व्यावहारिक स्वरूप: एकअध्ययन
वर्तमान सन्दर्भ में उत्तर भारतीय तालों का व्यावहारिक स्वरूप: एकअध्ययनश्रीमती ललिता, शोधार्थिनी, संगीत विभाग, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीतालडा०रेखा साह, असिस्टेन्ट प्रोफेसर, संगीत विभाग, कुमाऊँ...
View Articleईरानी कवयित्री और ऐक्टिविस्ट नसरीन परवाज़ की कविता : अनुवाद और प्रस्तुति -...
ईरानी कवियित्री और ऐक्टिविस्ट नसरीन परवाज़जेल की सज़ा भुगत चुकी हैं।मानव त्रासदी कितनी कितनी विकट होती है, फिर भी साधारण लोग अपने conviction के भरोसे इसपर काबू पा लेते हैं। जेल में प्रेम...
View Articleमालिनी गौतम की कविताएं
1. दर्द पके-पके-सेलड़की जब भी देखती है काँच के पानी भरे ग्लास में पड़े बर्फ के चौकोर टुकड़े को उसे लगता है एक और ज़िंदगी डूब गयी...पिघल-पिघल कर पानी हो गयी...घूँट-घूँट उतरते पानी में फ्रीज़ होता जाता है...
View Articleगज़ब कि अब भी, इसी समय में - राकेश रोहित के कविकर्म पर अनुराधा सिंह
जब नष्ट हो रहा हो सब कुछऔर दिन आखिरी हो सृष्टि कामेरी प्रिय, तुम मुझे प्यार करती रहना!...क्योंकि यह प्यार ही हैजिसका कविता हर भाषा में अनुवादउम्मीद की तरह करती है। (अनुनाद, २०१५)एक कवि जो...
View Articleयहां कविता में पुराने छंद चाहे न आ रहे हों किन्तु उन छंदों की लय आज भी बची...
महेश चंद्र पुनेठा -आप कविता के केंद्र में मनुष्य भाव को मानते हैं.कविता ही मनुष्य भाव की रक्षा करती है.यह अच्छी कविता का एक आधार बिंदु है. आखिर यह मनुष्य भाव क्या...
View Articleस्त्री-कविता का सामाजिक स्वर और शुभा की कविताएँ - आशुतोष कुमार
आलोकधन्वा की कविता “भागी हुई लड़कियां” १९८८ में छपी . यह घटना हिंदी कविता के इतिहास में एक मील का पत्थर है . इसके बाद ही हिंदी में पितृसत्ता को सीधे निशाने पर लेनी वाली स्त्रीवादी...
View Articleवीरू सोनकर की नई कविताएं
वीरू सोनकर की कविताएं पहले भी अनुनाद पर पाठकों ने पढ़ीं हैं और उन कविताओं पर मेरी टिप्पणी भी। इस बीच उनके कथन में कुछ फ़र्क़ आया है, कुछ और आयाम उनके कवि-व्यक्तित्व में जुड़े हैं। उन्होंने सोशल मीडिया...
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