अशोक कुमार पाण्डेय की तीन कविताएं
जबकि हमारी अपनी ही स्मृतियां निर्जनता के कगार पर खड़ी हैं, अशोक तीन बुज़ुर्गों से कविता में संवाद कर रहा है। यहां तीन अलग लोग एक ही ऊर्जा में जलते हुए मिलते हैं, उनके साथ जलता है आज का कवि। ये और वे,...
View Articleस्मरण में है आज जीवन : वसुंधरा ताई कोमकली - संदीप नाईक
“जब होवेगी उम्र पुरी, तब टूटेगी हुकुम हुजूरी, यम के दूत बड़े मरदूद, यम से पडा झमेला”(पंडित स्व कुमार गन्धर्व की पत्नी पदमश्री वसुंधरा ताई का निधन )“भानुकुल” आज उदास है ऐसा उदास वह 12 जनवरी 1992 को हुआ...
View Articleआज वीरेन दा का जन्मदिन है
अग्रज कवि वीरेन डंगवाल के लिए ये दो कविताएं, जो मेरे इस बरस 'आए-गए'संग्रह 'खांटी कठिन कठोर अति'में शामिल हैं। इनमें से एक साल भर पहले समालोचन पर छपी थी। बहरहाल, चाहें तो इन्हें कविता मान लें, चाहें तो...
View Articleजब लोग अपने होने के अभिप्राय से भाग रहे थे - महाभूत चन्दन राय की कविताएं
महाभूत चन्दन राय ने कविता में एक कठिन राह पकड़ी है। सरलीकरणों के बरअक्स वे एक जटिल लग सकने वाला संसार रच रहे हैं। उनके लिखे में ख़ूब अभिधा है। वे संवाद में यक़ीन रखने वाले कवि हैं। कोई संवाद उतना जटिल...
View Articleदस नई कविताएँ : पंकज चतुर्वेदी
पंकज समर्थ आलोचक और प्रिय कवि हैं। अनुनाद की स्थापना से ही उनका इस पत्रिका से गहरा लगाव रहा है। अनुनाद के पन्नों पर उनकी कविताएं अौर लम्बे आलोचनात्मक लेख सहेजे हमनें और उन पर हुई स्वस्थ लम्बी बहसें भी।...
View Articleआशीष बिहानी की कविताएं
आशीष बिहानी की कविताएं अनुनाद पर कुछ दिन पहले ही लगनी थीं पर नेट की रफ़्तार ने साथ नहीं दिया। इस संभावनाशील युवा कवि का पहला संग्रह जल्द आ रहा है, जिसका ब्लर्ब कवि लाल्टू ने लिखा है। यह ब्लर्ब और आशीष...
View Articleयह चमकीले शब्दों से भरे मनुष्यता के धूसर दिन थे - राकेश रोहित
तीस छोटी कविताएँ1.प्रेमियों का एकांत ...और जबकि इतनी धूप खिली हैप्यार कैसे तुमको छू रहा हैक्या अब भी आकाश के किसी कोने मेंप्रेमियों का एकांत है? 2.नदी, पत्ती और प्रेम कई बार नदी पर तैरती पत्ती से भीहो...
View Articleअमित श्रीवास्तव की नई कविता
अमित ने अपनी कविताओं में कई स्तरों पर प्रयोग किए हैं। उनमें कुंभ पर लिखी एक कविता मेरी याद में सबसे ऊपर है। ये प्रयोग,प्रयोगधर्मिता के लिए नहीं हैं, किसी तरह अपने विकट समय और हालात को व्यक्त कर पाने के...
View Articleख़्वाब की तफ़सील और अंधेरों की शिकस्त
इंसानियत के एक समूचे घराने जितना विराट था उनका व्यक्तित्व. कवि, पत्रकार, अध्यापक, दोस्त, पिता, भाई वगैरह तो वे बाद में थे. ज़रा भी कम नहीं पड़नी उस घराने की कौंध और चमक. कभी नहीं.- अशोक पांडेमेरे दो बड़े...
View Article10वां विश्व हिंदी सम्मलेन(एक छात्र प्रतिभागी के नोट्स) - शिव त्रिपाठी
1०वाँ विश्व हिंदी सम्मलेन का आयोजन 10-12 सितम्बर 2015 को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में संपन्न हुआ वैश्विक परिदृश्य पर हिंदी की एक ठोस पहचान बनाने तथा उसे यथेष्ठ सम्मान...
View Articleअनुपम सिंह की तीन कविताएं
नहीं जानता कि अनुपम सिंह पहले किन पत्रिकाओं में मौजूद रही हैं और कवि के रूप में उनकी यात्रा अब तक कैसी रही है, मेरी पढ़त के हिसाब से वे नई कवि हैं। ये कविताएं उजागर करती हैं कि समकालीन जीवन की ऊपर-ऊपर...
View Articleवीरेन के साथ पूरी आधी सदी - बटरोही
वीरेन डंगवाल पर उनके आत्मीय मित्र कथाकार बटरोही की लम्बी टिप्पणी मैं फेसबुक से साभार ले रहा हूं। बटरोही से वीरेन डंगवाल की संबंधों की दास्तान आधी सदी लम्बी है। लगभग दो दशकों तक मैं ख़ुद इन संबंधों का...
View Articleहर्षिल पाटीदार की कुछ कविताएं
हिंदी में बहुत सारी रॉ एनर्जी है। वह उतनी अनगढ़ है, जितना एक मनुष्य को होना चाहिए। उसे बाहर से साधना हिंसा की तरह होगा। वह ख़ुद सधेगी विचार की राह पर उसके पथ आगे कभी प्रशस्त होंगे। जैसे बच्चा देखता है...
View Articleउत्तर सदी की हिन्दी कहानी : समाज और संवेदनाएं -संदीप नाईक
मित्रों, उत्तर सदी की हिन्दी कहानी का विकास दुनिया के किसी भी साहित्य में उपलब्ध प्रक्रिया के तहत अपने आप में अनूठा होगा इस लिहाज से कि हिन्दी कहानी ने इस समय में बहुतेरी ना मात्र घटनाओं को देखा, परखा...
View Articleलाल्टू की नई कविताएं
मुझे कुछ ही देर पहले ये कविताएं मिली हैं और मैंइन्हें एक सांस में पढ़ गया हूं। आज और अभी के हिंसक प्रसंगों के बीच कविता के पास प्रतिरोध एक सहेजने लायक पूंजी है। लाल्टू की कविताओं की ये भीतरी आग और उसके...
View Articleझुंडीने लोक जमले तेव्हा तू कुठे होतास?/झुंड में जब लोग जमा हुए तब तुम कहाँ थे...
यह महत्वपूर्ण कविता हमें प्रज्ञा जोशी और हिमांशु पांड्या ने उपलब्ध कराई है। अभी जिन दिनों के बीच हमारा जीवन है कराहता हुआ, उन्हीं दिनों में, उन्हीं दिनों को कहती यह कविता भी है। अनुनाद कविता महाजन और...
View Articleरेयाज़ उल हक़ की कविताएं / जलसा-4
उधार के लोहे और उधार की धार वाली कविताओं के प्रतिरोध शुरू हो ये कविताएं देश और राजनीति में चल रहे दुश्चक्रों के कई नक़ूश दिखाती हैं। इनका प्रथम प्रकाशन जलसा के हाल में चौथे अंक में हुआ है। कवि ने...
View Articleकृष्ण कल्पित की बारह कविताएं
कवि कृष्ण कल्पित ‘भारतनामा’शीर्षक से कविता की एक सिरीज़ लिख रहे हैं। उनके जन्मदिन के अवसर पर बधाई देते हुए इसी सिरीज़ से बारह कविताएं। ये कविताएं उसी क्रम में नहीं हैं, जिसमें कवि द्वारा इन्हें...
View Articleउनका मरना लाज़िम था-अशोक कुमार पांडेय की कविता
कराहते हुए वक़्तों में, बेइंतेहा ज़ुल्मतों में, जब आंखों में पानी और आग एक साथ भरे हों, कविता की राह और कठिन हो जाती है। हमारे बीच लोग क़त्ल हो रहे हैं, वे लोग, जो मनुष्यता को अपना साध्य माने थे। जाहिर...
View Articleअंधेरी कविताएं - अशोक कुमार पांडेय
यहां दी जा रही कविताओं को 'अंधेरी कविताएं'ख़ुद कवि ने कहा है। अंधेरेके बारे में गाया जाएगा का संकल्प धरे कवि का हक़ बनता है कि वह ऐसा कहे। तनाव, अवसाद और आक्रोश में अतिशय होते जाते बिम्ब ऊंचे सुरों को...
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